कलराज मिश्र के राज्यपाल बनाए जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बधार्इ दी है। गोरखपुर क्षेत्र में रह चुके हैं प्रचारक, जनसंघ में भी रहे सक्रिय 50-60 के दशक में संघ और जनसंघ में सक्रिय रहने वाले कलराज मिश्र गोरखपुर, देवरिया-कुशीनगर सहित पूर्वांचल के जिलों में सक्रिय रहे हैं। 1980 में भाजपा के गठन के बाद भाजपा युवा मोर्चा का नेशनल प्रेसिडेंट रह चुके कलराज मिश्र यूपी की राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष रहने के अलावा वह केंद्रीय संगठन का भी हिस्सा रह चुके हैं। 1978, 2001 व 2006 में राज्यसभा सदस्य रह चुके कलराज मिश्र ने पहली बार 2012 में लखनउ से विधानसभा चुनाव लड़कर विजयी हुए। 2014 में उनको देवरिया लोकसभा क्षेत्र से अचानक से प्रत्याशी बना दिया गया। स्थानीय स्तर पर टिकट का विरोध हुआ लेकिन मृदुभाशी स्वभाव के कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) को जनता ने हाथो हाथ लिया और वह रिकार्ड मतों से विजयी हुए।
उम्रदराज होने की वजह से गंवाना पड़ा मंत्री पद 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले कलराज मिश्र को पूर्वांचल के कोटे से केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिली। लेकिन मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए कलराज मिश्र को कुछ ही समय बाद इस्तीफा देना पड़ा। उम्र अधिक होने की वजह से मोदी सरकार ने इनसे इस्तीफा मांग लिया और एक अनुशासित पार्टी कार्यकर्ता की तरह कलराज मिश्र ने इस्तीफा देते हुए सक्रियता बनाए रखी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कलराज मिश्र को देवरिया से टिकट नहीं मिला। हालांकि, पार्टी के दबाव में उन्होंने खुद ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद पूरे चुनाव भर सक्रिय रहे।
मंत्री पद गंवाने के बाद से राज्यपाल बनाए जाने की रही चर्चा पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ( HP Governor Kalraj Mishra) को जब मोदी सरकार ने इस्तीफा देने को कहा तभी से हर ओर यह चर्चा रही कि उनको अब किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। लोकसभा चुनाव में जब टिकट नहीं मिला तो भी यही चर्चा रही। मोदी सरकार के दुबारा आने के बाद कलराज मिश्र के बारे में तरह तरह की चर्चा होती रही। लेकिन अचानक से उनको हिमाचल का राज्यपाल बनाने का ऐलान हो जाने से उनका खेमा काफी खुश है।